कृष्ण जन्माष्टमी, हिन्दू धर्म के एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के अवसर पर मनाया जाता है। यह पर्व हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है और इसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा के बंदीगृह में हुआ था और उनका लालन-पालन नंद बाबा और यशोदा मैया के पास गोकुल में हुआ था।

अधिक जानकारी के लिये क्लिक करें
Table of Contents
भगवान कृष्ण का जन्म
विवरण और कथा
श्री कृष्ण का जन्म भगवान विष्णु के दशावतार में से एक है। इसका जन्म भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की आषाढ़ नक्षत्र में हुआ था। उनका जन्म मथुरा नगर में हुआ था, जिसे आज श्रीकृष्ण के जन्मस्थल के रूप में जाना जाता है। उनका पालन-पोषण उनके पालक माता-पिता, माता यशोदा और पिता नंद बाबा ने, गोकुल के गाँव में किया था
कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व की चर्चा
यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के अवसर को याद करने का मौका प्रदान करता है। भगवान कृष्ण हिन्दू धर्म के एक महत्वपूर्ण अवतार माने जाते हैं और उनके जीवन के अद्भुत किस्से हमें धर्म, भक्ति और नैतिकता के मार्ग पर चलना सिखाते हैं।
जन्माष्टमी के दिन लोग व्रत रखकर भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं और उनके लीलाओं की कथाएं सुनते हैं। रासलीला का ख़ास आयोजन किया जाता है, जिसमें युवक-युवतियाँ कृष्ण की गोपियों की भावनाओं को अनुसरण करते हैं।
जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की मूर्तियों को सजाकर उनके समर्पण का अक्षय प्यार और भक्ति प्रकट की जाती है।

जन्माष्टमी के परंपरागत रूप
त्योहार की पारंपरिक रीतियों और अद्भुत प्रथाओं का वर्णन
जन्माष्टमी को विशेष ढंग से मनाने की पारंपरिक रीतियाँ हैं। इसमें रात को भगवान कृष्ण की मूर्ति का अभिषेक करना, धूप, दीप, फल, और मिठाई चढ़ाना शामिल है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान कृष्ण का गुणगान करते हैं।
व्रत रखकर जन्माष्टमी के दिन ब्रज के गोपियों की तरह रासलीला आयोजित की जाती है
कृष्ण भगवान की कथाएँ
जन्माष्टमी से जुड़ी कहानियों का सारांश
जन्माष्टमी के अवसर पर हम भगवान कृष्ण की विभिन्न कथाओं को सुनते हैं
कालिया नाग मर्दन, पूतना वध, गोवर्धन पर्वत उठाना, कंस वध, और गोपियों के साथ रासलीला शामिल हैं।
ये कथाएँ हमारे जीवन में भक्ति और भगवान के प्रति प्यार को बढ़ावा देती हैं।
जन्माष्टमी हमारे श्री कृष्ण पर विश्वास को धृढ़ करता है, ये हमें सीख देती है की परिस्थिति कोई भी हो परमेश्वर हमेशा हमारे रक्षा को आयेंगे।
जन्माष्टमी का पर्व मनाने के तरीके
पूजा की विधि
जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की मूर्ति का पूजन करें, मूर्ति को सजाकर उसके सामने दीप जलाकर उसे देवता के रूप में पूजें। यथा संभव व्रत रखें।
भजन और कीर्तन
भगवान कृष्ण की स्तुति में भक्ति गीत और भजन गाएं, उनके गुणों और महिमा का गुणगान करें और परिवार के साथ श्रवण करें।
रासलीला का आयोजन
रासलीला प्रदर्शन की व्यवस्था करें या जहां प्रदर्शन हों वहाँ जा कर प्रतिभागी गोपियों और भगवान कृष्ण के दिव्य नृत्य का अनुकरण करें और आनंद लें।

इस दिन को पूजा करने से लोग भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करते हैं और उनके आदर्शों को अपना कर जीवन सफल बनाने का निश्चय करते हैं।
जन्माष्टमी का यह त्योहार हमें धार्मिक और आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करता है और हमें भगवान के प्रति भक्ति और सेवा भाव रखने को प्रोत्साहित करता है।
जन्माष्टमी हम इंसानों को उम्मीद देता है की चाहे परिस्थिति कितनी भी विकट हो ऊपर वाला हमेशा हमारे साथ है और हमारे उद्धार के लिए वो अवतरित होते रहेंगे।
जय श्रीकृष्ण
नोट:- अगर आप ऐसे किसी भी बिहारी व्यक्तित्व को जानते हैं जो I Am Brand Bihar का हिस्सा बन सके तो उस से संबंधित जानकारी आप हमें admin@iambrandbihar.com शेयर कर सकते हैं या फिर Contact Us पेज पर हमसे जुड़ सकते हैं।*हम उस जानकारी को आपके नाम के साथ पब्लिश करेंगे।