बिहार जाति जनगणना 

2023

बिहार में जाति सर्वेक्षण को दो चरणों में किया गया

पहला चरण में बिहार के सभी घरों की संख्या दर्ज़ की गई

दूसरे चरण में घरों में रहने वाले व्यक्तियों की जातियाँ, उप-जातियों और उनके सामाजिक-आर्थिक स्थितियों  को दर्ज किया गया।

बिहार में सबसे अधिक संख्या अतिपिछड़ा वर्ग की है 

36%

बिहार में सबसे अधिक संख्या यादवों की है 

14.25%

बिहार में दूसरा सबसे अधिक संख्या वाली जाती पासवान है 

5.31%

बिहार में हिन्दू धर्म की आबादी  है

81.99%

बिहार में मुस्लिम धर्म की आबादी है 

17%

बिहार जाति जनगणना का प्रभाव

अब ओबीसी कोटा को 27% से अधिक बढ़ाने की माँग तेज होगी

इस जनगणना के बाद बिहार के अति पिछड़ी जातियों को मज़बूत नेतृत्व मिल सकता है

पासवान, रविदास और मुसहर मिलकर 14% होते हैं जो आने वाले समय एक मजबूत विकल्प होंगे।

बिहार जाति जनगणना का फायदा 

नये जाति समूहों का उभार होगा और वो राजनीति और सामाजिक कामों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे।

इस जाति जनगणना से सरकार को उनके अनुसार योजनाएँ बनाने में मदद मिलेगी।

इस जनगणना से जातियों की असली तस्वीर सामने आयेगी।

बिहार जाति जनगणना का नुकसान

कम जनसंख्या वाले जातियाँ अपने जनसंख्या बढ़ाने के होड़ में लग जायेंगी जिसका दीर्घकालिक नुकसान होगा।

ज़्यादा जनसंख्या वाले जातियों की पूछ बढ़ेगी और छोटी जातियाँ किनारे हो जायेंगी।

सारे राजनीतिक दल विकास के काम करने की जगह वोटबैंक को मजबूत करने के लिए काम करने लगेंगी,

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