अब ओबीसी कोटा को 27% से अधिक बढ़ाने की माँग तेज होगी
इस जनगणना के बाद बिहार के अति पिछड़ी जातियों को मज़बूत नेतृत्व मिल सकता है
पासवान, रविदास और मुसहर मिलकर 14% होते हैं जो आने वाले समय एक मजबूत विकल्प होंगे।
नये जाति समूहों का उभार होगा और वो राजनीति और सामाजिक कामों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे।
इस जाति जनगणना से सरकार को उनके अनुसार योजनाएँ बनाने में मदद मिलेगी।
इस जनगणना से जातियों की असली तस्वीर सामने आयेगी।
कम जनसंख्या वाले जातियाँ अपने जनसंख्या बढ़ाने के होड़ में लग जायेंगी जिसका दीर्घकालिक नुकसान होगा।
ज़्यादा जनसंख्या वाले जातियों की पूछ बढ़ेगी और छोटी जातियाँ किनारे हो जायेंगी।
सारे राजनीतिक दल विकास के काम करने की जगह वोटबैंक को मजबूत करने के लिए काम करने लगेंगी,